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rudraksh kya hai

हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष धारण करने का विशेष महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव के आंसुओं से है.

आज के समय में काफी सारे लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं, रुद्राक्ष की माला का जाप करते हैं, रुद्राक्ष की पूजा भी करते हैं. लेकिन रुद्राक्ष की उत्पत्ति के बारे में काफी कम ही लोग जानते हैं.

रुद्राक्ष क्या है? रुद्राक्ष कैसे बनता है? (Rudraksh Kaise Banta hai?) असली रुद्राक्ष को कैसे पहचानते हैं? रुद्राक्ष पहनने के क्या फायदे होते हैं? इसी तरह के और भी रुद्राक्ष से जुड़े सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिलने वाले हैं.

रुद्राक्ष क्या है? (What is Rudraksh in Hindi?) 

रुद्राक्ष वैसे तो एक वृक्ष का बीज है जो उसके फल में से निकलता है. लेकिन रुद्राक्ष से जुड़ी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से है.

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव ने त्रिपुर नामक असुर का वध करने के लिए महाघोर रूपी अस्त्र का चिंतन किया तब उनके नेत्रों से अश्रु निकले. ये अश्रु धरती पर जा गिरे और इनके कारण रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई. इस वजह से रुद्राक्ष को भगवान शिव से जोड़ा जाता है.

रुद्राक्ष में भगवान शिव का नाम ‘रुद्र’ है और अक्ष का अर्थ अश्रु होता है. अर्थात भगवान शिव के अश्रु को रुद्राक्ष कहा जाता है.

रुद्राक्ष कैसे बनता है? (How Rudraksh Made?) 

रुद्राक्ष एक पेड़ के फल का बीज होता है. इस वृक्ष को इलियोकार्पस गेनिट्रस (Rudraksh Tree Name) कहा जाता है. इसमें एक फल लगता है जो पककर नीले रंग का हो जाता है. इसे ब्लूबेरी बीड्स कहा जाता है. इस फल के अंदर ही रुद्राक्ष निकलता है जो इस फल का बीज होता है.

रुद्राक्ष के पेड़ 50 फीट से 200 फीट ऊंचे होते हैं. ये हिमालय, गंगा के मैदान, नेपाल, दक्षिण पूरी एशिया, ऑस्ट्रेलिया आदि में पाये जाते हैं. भारत में ही रुद्राक्ष की 300 से ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती है. ये एक सदाबहार पेड़ है जो जल्दी से बढ़ता है और तीन से चार साल में फल दे देता है.

रुद्राक्ष पहनने के नियम (Rudraksh ke niyam) 

रुद्राक्ष धारण करने के लिए आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए.

– रुद्राक्ष को लाल या पीले रंग के धागे में धारण करना चाहिए. काले रंग के धागे में धारण नहीं करना चाहिए.
– हमेशा हाथ पर 12 रुद्राक्ष, गले पर 36 और हृदय पर 108 रुद्राक्ष धरण किए जाते हैं.
– सिर्फ एक रुद्राक्ष को भी धारण किया जा सकता है ये दाना हृदय तक पहना जाना चाहिए.
– रुद्राक्ष धारण करने का सबसे अच्छा समय सोमवार, सावन का माह और शिवरात्रि होती है.
– रुद्राक्ष को हमेशा स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही धारण करना चाहिए.
– रुद्राक्ष धारण करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए.
– रुद्राक्ष धारण करने वाले को मांस, मदिरा और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.

रुद्राक्ष पहनने के फायदे (Rudraksh benefits in Hindi) 

रुद्राक्ष पहनने के कई सारे फायदे होते हैं.

– रुद्राक्ष आपके ब्लड प्रेशर को कम करता है.
– रुद्राक्ष आपकी तंत्रिकाओं को शान करता है और शरीर को भी शांत रखता है.
– छोटे बच्चों को शांत और एकाग्र बनाने के लिए उन्हें रुद्राक्ष जरूर धारण कराएं.
– रुद्राक्ष आपके शरीर की ऊर्जा को स्थिर करता है जिससे आपका काम करने में अच्छी तरह मन लगता है.
– रुद्राक्ष का पानी पीने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है. इससे कई रोगों से मुक्ति मिल सकती है.

रुद्राक्ष पहनने के नुकसान (Rudraksh disadvantage in hindi) 

रुद्राक्ष पहनकर यदि नियमों का पालन नहीं किया जाए तो आपको नुकसान हो सकता है.

– रुद्राक्ष को पहनकर शवयात्रा में नहीं जाना चाहिए.
– रुद्राक्ष को पहनकर बच्चे के जन्म की जगह नहीं जाना चाहिए.
– सोते समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए.
– शराब और मांसाहार का सेवन करने वाले व्यक्ति को रुद्राक्ष धरण नहीं करना चाहिए.
यदि आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो आप पर रुद्राक्ष के नकारात्मक प्रभाव दिखाई दे सकते हैं.

असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें? (How to identify real rudraksh?) 

रुद्राक्ष की असली और नकली प्रजाति भारत में देखने को मिलती है. इस समय बाजार में प्लास्टिक और फाइबर के रुद्राक्ष भी देखने को मिलते हैं. आप चाहे तो खुद ही रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं.

– असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक छेद होते हैं जबकि नकली रुद्राक्ष में छेद अलग से किया जाता है.
– असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाने से वह रंग नहीं छोड़ता है जबकि नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ देता है.
– असली रुद्राक्ष पानी में डुबाने पर डूब जाता है जबकि नकली रुद्राक्ष पानी में तैरता रहता है.
– असली रुद्राक्ष को कुरेदने पर उसमें से रेशा निकलता है.

इस तरह आप असली रुद्राक्ष की पहचान कर सकते हैं.

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By पंडित नितिन कुमार व्यास

ज्योतिषाचार्य पंडित नितिन कुमार व्यास मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में रहते हैं. वे पिछले 35 सालों से ज्योतिष संबंधी परामर्श और सेवाएं दे रहे हैं.

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